Wednesday, March 20, 2024

होलिकादहन मुहूर्तविशेष - 2024

 होलिकादहन मुहूर्तविशेष - 2024


ता. 24.03.2024 को सुबह 9क.54मि. से फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा तिथि उदित(बड़ौदा)हो रही है । अतः उसी दिन शाम के बाद प्रदोषकाल में होलिकादहन के लिए उचित समय है । भद्रा का समय पूर्णिमा में पूर्वार्ध में रहने से सूर्यास्त के बाद भद्रदोष नहीं है । {संदर्भग्रंथ :~ 01) मुहूर्त. चि.,अध्याय 01, श्लोकसं. 44 तथा 02) धर्मसिंधु :~ पृष्ठसं.142}


अतः ता. 24.03.2024 को सूर्यास्त के बाद प्रदोषकाल में होलिकादहन और 25.03.2024 को रंगोत्सव का उत्सव उचित है । 


:~ प्रदोषकाल आदि अन्य काल के समय को जानने के लिए नीचे क्लिक् करें।

कालसमयज्ञानविशेष


शोध में तत्पर और आपके आशीर्वाद से परिपूर्ण
Ph.D. SCHOLAR IN SANSKRIT LANGUAGE
MEHUL B. PATHAK

Saturday, September 30, 2023

મોક્ષાર્થી પથ

 મૃત્યુલોકમાંથી સત્યલોકની પ્રાપ્તિના પ્રકારનો કલ્પિત માર્ગ : એક તાર્કિક વિશ્લેષણ ( એક બાળજિજ્ઞાસુ 


તમે આંખો બંધ કરી કલ્પના કરો કે તમારું મૃત્યુ થઈ ગયું છે,કારણકે મૃત્યુ સમયે પણ તમારી આંખો બંધ  હશે,ઘોરઅંધકાર હશે.

હવે શ્રીમદ્ભગવદ્ગીતામાં ભગવાનનાં કહ્યા પ્રમાણે જે  મરણ સમયે જેનું ચિંતન કરે છે,તે મનુષ્ય તે યોનીને પ્રાપ્ત થાય છે,

એટલે કે મૃત્યુ સમયે અધૂરી આત્યંતિક ઈચ્છા વારંવાર આપણી સામે આવે છે,  ઈચ્છાને પૂરી કરવા આપણે જે-તે યોનીમાં જન્મલઈએ છીયે,


હવે ભગવાનને મરણ સમયે મેળવવાની ઈચ્છા મરણ સમયે પ્રાપ્ત કેવી રીતે થાયજેથી શ્રીમદ્ભગવદ્ગીતામાં ભગવાનના કહ્યા અનુસારઆપણે જે-તે પિતૃ-દેવ-યક્ષ-રાક્ષસની ઉપાસના એટલે કે મરણસમયે જે-તે પ્રાપ્ત કરવાની ઈચ્છા કરીયે છીયે તે  મન  બંધનનું અનેમોક્ષનું કારણ એટલે કે તે  ભગવાનને મેળવવાની આત્યંતિક ઈચ્છાથી તે  પરમધામ સત્યલોકની પ્રાપ્તિ કરી શકીએ.


દા.જેમ કોઇ મોટી પરીક્ષા પાસ કરવા માટે આપણે રોજ તેનાં માટે એક આત્યંતિક ઈચ્છા સાથે પ્રતિદિન તેને પાસ થયેલા લોકોનોમહિમા અને તેના અભ્યાસક્રમનો નિરંતર ચિંતન સાથે પ્રતિદિન એક  ઈચ્છા સાથે ચોક્કસ સમય ફાળવીએ છીયે,તેમ  ભગવાનનોમહિમા એટલે શ્રીમદ્ભાગવત રૂપી અમૃતતુલ્ય ગ્રંથનું રોજ એક  અધ્યાયનું વાંચન કે શ્રવણ અને ચિંતન,મનન કરવાથી તમને તમારા ઘરમાં રહેલા તે  ભગવાન નારાયણની પ્રતિમા ઉપર પ્રથમ કરવા વધુ વિશ્વાસ સાથે એમને મળવાની આત્યંતિક ઈચ્છા પ્રાપ્ત થઈ જાય છે.


તેથી જ્યારે સમય આવ્યે પરીક્ષાની પૂર્ણ તૈયારીથી સજ્જ પરીક્ષાર્થી જેમ ઉત્તમ ક્રમાંકે પાસ થઈને પોતાની આત્યંતિક ઈચ્છા પૂર્ણ કરેછે,તેવી  રીતે મરણાસન્ન મનુષ્યને સત્યલોક એટલે કે શ્રીમદ્ભગવદ્ગીતામાં ભગવાનના કહ્યા અનુસાર કે જ્યાં ગયા પછી જીવ પાછો જન્મ-મરણનાં ચક્રમાં ફસાતો નથીતે પરમધામ મારું છે,તે  સત્યલોકને પ્રાપ્ત કરી શકાય છે.


સૌને જય શ્રીકૃષ્ણ 


Friday, August 25, 2023

भद्रादोष परिहार विशेष :~

 भद्रादोष परिहार विशेष :~


इस रक्षाबंधन के पर्व पर भद्रा को की मृत्युलोक में निवास कर रही है, तब इसके परिहार में आचार्यजीने बालबोध ज्योतिष ग्रंथ में प्रथम प्रकारण में ८१ वें श्लोक में जो विवरण किया है, वह इस रक्षाबंधन में वह नियम लगाया जा सकता है जो इस प्रकार है,


"विष्टिरङ्गारकश्चैव व्यतीपातश्च वैधृति: ।

प्रत्यरिर्जन्मतारा च मध्याह्नात्परतः शुभाः।।"


श्लोकार्थ इस प्रकार है कि," विष्टि, मंगलवार, व्यतिपात, वैधृति, प्रत्यरि और जन्मतारा ये सब मध्याह्न काल के बाद शुभ माने गए है । यह श्लोक मुहूर्त चिंतामणि ग्रंथ में प्रथम प्रकरण में श्लोक नं. ४४ की टीका में सबसे अंतिम रेखा में दिया गया है ।


ता. 30/8/23 को वडोदरा में मध्याह्न काल प्रारंभ दोपहर 1क.53मि.15को पूर्ण हो रहा है । तो आप निश्चिंत होकर नीचे दिए गए मुहूर्त में रक्षाबंधन मनाए।


चौघड़िया मुहूर्त :~ 

1) चर:~ 3.46p.m. से 5.21p.m. तक 

2) लाभ:~ 5.21p.m. से 6.55p.m. तक 

3) शुभ:~ 8.21 से 9.19p.m. तक


होरा मुहूर्त :~ 

1) बुध :~ 1.53p.m. से 2.44p.m. तक 

2) चंद्र :~ 2.44p.m. से 3.46p.m. तक 

3) गुरु :~ 4.49p.m. से 5.52p.m. तक 

4) सूर्य :~ 6.55p.m. से 7.52p.m. तक 

5) शुक्र :~ 7.52p.m. से 8.49p.m. तक

6) बुध :~ 8.49p.m. से 9.19p.m. तक


अन्त में जो चौघड़िया और होरा मुहूर्त है, वह अधिक समय तक है, लेकिन यहा धर्मसिंधु में केवल सायंकाल के बाद 6 घटी तक ही शुभ मुहूर्त ले सकते है, यहां पर 6 घटी अर्थात् 2क.24मि. जो की रात्रि को 9.19p.m. पर समाप्त हो जाते है, अतः वही तक हम शुभ मुहूर्त ले सकते है ।



ASTROLOGER MBPATHAK

8141277599

सभी को इस रक्षाबंधन की हार्दि

क शुभकामनाएं।

धन्यवाद ।

Tuesday, February 28, 2023

होलिकादहन मुहूर्तविशेष - 2023

होलिकादहन मुहूर्तविशेष - 2023


ता. 06.03.2023 को शाम 16क.17मि. से फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा तिथि उदित(बड़ौदा)हो रही है । अतः उसी दिन शाम के बाद प्रदोषकाल में होलिकादहन के लिए उचित समय है । भद्रा का समय पूर्णिमा में पूर्वार्ध में रहने से सूर्यास्त के बाद भद्रदोष नहीं है । {संदर्भग्रंथ :~ 01) मुहूर्त. चि.,अध्याय 01, श्लोकसं. 44 तथा 02) धर्मसिंधु :~ पृष्ठसं.142}


अतः ता. 06.03.2023 को सूर्यास्त के बाद प्रदोषकाल में होलिकादहन और 07.03.2023 को रंगोत्सव का उत्सव उचित है ।


:~ प्रदोषकाल आदि अन्य काल के समय को जानने के लिए नीचे क्लिक् करें।

कालसमयज्ञानविशेष


शोध में तत्पर और आपके आशीर्वाद से परिपूर्ण
Ph.D. SCHOLAR IN SANSKRIT LANGUAGE
MEHUL B. PATHAK


कालसमयज्ञानविशेष:~

प्रदोष काल :~ सूर्यास्त से प्रारम्भ कर 06 घड़ी अर्थात् 2क.24मि.,


सूर्योदय से सूर्यास्त तक जो समय है, उसके पांच भाग करने पर,
प्रथम भाग :~ प्रातः काल,
दूसरा भाग :~ संगव काल,
तीसरा भाग :~ मध्याह्न काल,
चतुर्थ भाग :~ अपराह्न काल,
पांचवां भाग :~ सायाह्न काल,

(संदर्भ ग्रंथ :~ धर्मसिंधु, पृष्ठसं.10)


Tuesday, September 13, 2022

श्रीदुर्गासप्तशती पाठ परिचय और माहात्म्य कथन

 श्रीदुर्गासप्तशती पाठ माहात्म्य : ~ 


में अपने बहुत ही निम्न विचार आदि से यथाशक्ति मां की कृपा प्राप्त करने के लिए यह माहात्म्य को बता रहा हूं। कृपया मां जगदम्बा मुझे माफ़ करे। 


श्री दुर्गा सप्तशती का जो मूल पाठ है,वह मार्कण्डेय पुराण के अन्तर्गत सावर्णिक मन्वंतर में देवीमाहात्म्य में देवी मां के 3 चरित्र के भाग स्वरुप 700 श्लोको के साथ महान वर्णन किया गया है।



पाठ क्रम :~ पाठ के पहले आचमन, प्राणायाम, संकल्प, शापोद्धार, देवी कवच, अर्गला और कीलक और देवी अथर्वशीर्ष तथा रात्रि सूक्त सप्तशती के विशेष न्यास आदि नवार्ण मंत्र जप कर 13 अध्यायो में दुर्गा मां का विशेष वर्णन है । बाद में सप्तशती के न्यास नवार्ण मंत्र जप देवी सूक्त और दुर्गा मां के तीन रहस्य है । उसके बाद शापोद्धार करके कुञ्जिका स्तोत्र पाठ करने का क्रम दिया गया है।


त्रयोदश अध्यायो का वर्णन :~ जिसमें 1 अध्याय में क्षत्रिय राजा सुरथ और वैश्य को ऋषि द्वारा देवीमाता के माहात्म्य को कहना, रात्रिसूक्त तथा मधु और कैटभ का वध, 2 अध्याय में देवताओं के तेज़ पुंज द्वारा देवीमाता का प्राकट्य और महिषासुर की सेना का संहार, 3 अध्याय में महिषासुर का वध, 4 में शक्रादय स्तुति, 5 में देवी सूक्त और शुंभ निशुंभ द्वारा देवी मां की और आकर्षित होकर दूत को भेजना, 6 में धूम्रलोचन का वध, 7 में चण्ड तथा मुण्ड का वध, 8 में रक्तबीज का वध, 9 में निशुम्भ वध, 10 में शुम्भ वध, 11 में देवी की स्तुति, 12 में देवी पाठ का माहात्म्य और 13 में वैश्य और सुरथ राजा को देवी का वरदान देना यह वर्णन विस्तार से है। 


माहात्म्य कथन :~ इस सप्तशती पाठ को विधि विधान और श्रद्धा से करने से सर्वभय की मुक्ति, महामारी आदि सर्व रोगों से मुक्ति, सभी बाधा से मुक्ति, निर्भयता, धन, धान्य, पुत्रादि से संपन्नता, सर्वशत्रु से मुक्ति, ग्रहजन्यपीड़ा से मुक्ति, मनुष्यो में संगठन फूट होने पर मित्रता की प्राप्ति, सभी अशुभ तत्वों को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा की वृद्धि होती है। 


कितना भी कहो मां की कृपा के गुणगान अपरंपार है, उनके गुणों का वर्णन करने की शक्ति भी वहीं देती है ।

सभी मातृशक्ति को मेरा प्रणाम ।

जय माताजी।।


Wednesday, August 10, 2022

भद्रा दोष परिहार विशेष ~

कल ता.11.8.22 भद्रा का दोष नहीं है । क्योंकि बालबोध ज्योतिष के अनुसार भद्रा जब मनुष्य लोक में होती है सिर्फ तब मंगल कार्य नहीं करने चाहिए, और कल 11.8.22 को चन्द्रमा मकर राशि में है, तब भद्रा पाताल में निवास करती है। और उसका फल धन प्राप्ति कहा है। 


और जो लोग भद्रा से अब भी भयभीत है उनके लिए कल 11.8.22 और तिथि नं.15 अर्थात् पूर्णिमा और गुरुवार को वडोदरा में सुबह 10.37.55 से सिद्धि योग ता.12.8.22 को सूर्योदय तक हो रहा है।


मु. चिंतामणि श्लोक 1.42 के अनुसार अगर कहीं पर कुयोग और सिद्धि योग दोनों एक ही समय पर हो तब हमेशा सुयोग कुयोगो के अशुभ फल को नष्ट कर देता है। 


अतः निश्चिंत होकर आप रक्षा बंधन मनाइए ।।

जय माताजी ।।


ASTROLOGER MBPATHAK

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